Betul News: नलजल योजना ठिकाने लगने के बाद अब जल निगम पर लगी टकटकी
Betul News: After the tap water scheme has been shelved, now the focus is on Jal Nigam.

महज 30 प्रतिशत के भेजे रिवाइज स्टीमेट
Betul News: बैतूल। जिले के 10 ब्लाकों की कई ग्राम पंचायतों में नलजल योजना के अस्तित्व पर सवाल खड़े होने के बाद अब ग्रामीणों को जल निगम के जरिये पानी उपलब्ध कराए जाने के प्रयास शुरू हो गए हैं। पांचों विधायको की नाराजगी को देखते हुए प्रशासनिक हलको में भी हड़कम्प मचा हुआ है। जानकारी मिली है कि जिले में कुल 1096 नलजल योजना पर काम शुरू किया गया था । इनमे से कई ग्राम पंचायतों में योजना के आज बुरे हाल नजर आ रहे हैं।
करोड़ो खर्च हो गए, लेकिन उद्देश्यों की पूर्ति क्यों नहीं हुई इसका जवाब किसी के भी पास नहीं है। इधर सांझवीर टाईम्स ने जब एक के बाद एक अलग अलग ब्लॉकों में चल रहे कार्यों को लेकर खुलासे करने शुरू किए तो जिला पंचायत अध्यक्ष राजा पवार ने भी मोर्चा सम्हाल लिया। जानकारी मिली है कि शुक्रवार जिला पंचायत में आयोजित सामान्य सभा की बैठक में उन्होंने अधीकारियों की जमकर क्लास ले डाली।
27 योजनाओं का रिवाइज स्टीमेट बनाकर भेजा, फूटी कौड़ी तक नहीं मिली
बताया जा रहा है कि मुलताई में योजना के बुरे हाल हैं। एक साल पूर्व 27 योजनाओं का रिवाइज स्टीमेट बनाकर भोपाल भेजा गया था लेकिन आज तक अतिरिक्त पैसा स्वीकृत नहीं हो पाया है। मुलताई जनपद पंचायत के अध्यक्ष पीरथी डहारे ने बताया कि पूरे ब्लाक में 89 योजना अधूरी पड़ी हैं वही ग्रामीण रोज शिकायतें करते हैं पर पीएचई विभाग के अधिकारी सुनते ही नहीं हैं चन्दोरा खुर्द में भी पूरे गांव में नालिया खोद कर रख दी है विभाग ओर ठेकेदार काम ही नहीं कर रहे है।
सूत्रों ने बताया कि विभाग बोर में 10 हासपावर की बिजली की मोटर तो डाल रहा है पर इन मोटरों से 5 सौ से 6 सौ फिट भूजल खींचने की ही क्षमता है जिसके चलते विभाग ने भले ही एक हजार फिट के बोर किए हैं पर भूजल का पूरा दोहन ही नहीं हो पा रहा है, जिसका प्रत्यक्ष उदाहरण हथनाझिरी की योजना है जहां विभाग बीते एक साल से मोटर 550 फीट के नीचे नहीं उतर रहा हैं इधर सूत्रों ने बताया कि बैतूल जिले के बैतूल ,आठनेर ,पट्टन और मुल्ताई ब्लाक को जल निगम को सौंपने की कवायद शुरू हो गई है।
आमला ब्लाक की भी 14 ग्राम पंचायतें भी जल निगम में दी जा रही है।अब बड़ा सवाल है कि जल जीवन मिशन में करोड़ों खर्च होने के बाद भी जब ग्रामीणों को पानी नसीब नहीं कराया जा सका तो आखिर इस सरकारी धन के दुरुपयोग का ठीकरा किसके सर फूटेगा। जिस मूलताई, मासोद विधान सभा को दो पीएचई मंत्री दिए गए उसी विधान सभा में रहने वाले एसी एसटी और ओबीसी वर्ग पानी की तलाश में पूरा दिन घूम रहे है और अब ग्रामीणों को जल निगम की योजना को लेकर फिर वर्षों पानी के इंतजार में गुजारना पड़ेगा।जिले में जल जीवन मिशन के तहत 1096 योजनाए चल रही है। जिसमे से 30 प्रतिशत योजनाओं को रिवाइज करने के लिए भेजा हैं।आश्चर्य इस बात का है कि जब पहली बार योजनाओं के स्टीमेट बनाए गए तो वो बंद कमरे में ही बनाए गए हैं। जिससे विभाग की लापरवाही साफ नजर आ रही हैं।