Betul News: पौने तीन करोड़ की नलजल योजना को पीएचई ने लगाया पलीता
Betul News: PHE sabotages tap water scheme worth Rs. 3.25 crore

29 माह बीते, 4 गांव के सैकड़ों ग्रामीण अब भी कुएं-बावली का गन्दा पानी पीने को मज़बूर
Betul News: बैतूल। प्रत्येक गांववासी को नलजल योजना के तहत साफ और स्वच्छ पानी उपलब्ध कराए जाने जा ढिंढोरा भले ही पीटा जा रहा हो, लेकिन जमीनी हकीकत कहानी कुछ और ही बयां कर रही है। पूरे देश मे इस योजना को अमली जामा पहनाने के लिए केंद्र सरकार ने अरबों रुपए का बजट स्वीकृत किया था, लेकिन हालातों को देख यह स्पष्ट है कि जनता के भले के लिए खर्च की जाने वाली यह राशि कमीशन खोरी की भेंट चढ़ा दी गई। भीमपुर ब्लॉक के चार गांव ऐसे हैं जहां पूरे 29 माह बीत जाने के बाद भी यह योजना मूर्त रूप नहीं ले सकी। आज भी इन ग्रामो में रहने वाले ग्रामीण कुएं- बावली और हैंड पंप का गंदा पानी पीने को मजबूर हैं। संवेदनशील कलेक्टर नरेंद्र सूर्यवंशी के भीमपुर दौरे के बाद अब ग्रामीण उम्मीद कर रहे हैं कि इस मामले में अधीकारियों समेत ठेकेदार से जवाब सवाल किए जाएं।
टंकी बनी, पाइप लाइन बिछाई, ट्रांसफार्मर लगाए, सब दिखावा
दरअसल भीमपुर ब्लॉक के ग्राम बक्का, कुनखेड़ी, महतपुर जावरा और टिट्वी ऐसे गांव हैं, जहां नलजल योजना का काम जुलाई 2022 में शुरू किया गया था। 27 जुलाई को पीएचई से इसका वर्क आर्डर जारी किया गया। इन चारों ग्रामो में कुल 2 लाख 83 हजार 41 हजार की राशि खर्च कर नलजल योजना का काम पूर्ण करना था। नियम के मुताबिक वर्षाकाल छोड़कर मात्र 6 माह में काम पूर्ण करना था, लेकिन इसमें समय सीमा को ताक पर रख दिया गया।
लगभग 900 ग्रामीणों की आबादी वाले ग्राम बक्का में पानी की टंकी, 3 ट्रांसफार्मर,1 संपवेल, बनाया गया है, लेकिन इसकी टेस्टिंग तक नहीं की जा सकी है। काम भी घटिया किस्म का कर दिया गया। अब ग्रामीणों की मजबूरी है कि उन्हें गांव में लगे हैंडपम्प, कुएं और बावड़ी का गंदा पानी पीने पर मजबूर होना पड़ रहा है। यही हाल अन्य तीन गांव के भी हैं। जहां नलजल योजना पर पीएचई विभाग करोड़ो रुपए खर्च कर चुका है। बावजूद यहां योजना के नाम पर इसके घटिया किस्म के पाइप, टोटियां , चेम्बर वाल्व, लगा दिए गए। जो देखरेख के अभाव में अब कबाड़ा होते जा रहे हैं। निर्धारित मापदंडों को ताक पर रख दिया गया, जिसका भुगतमान ग्रामीणों को भुगतना पड़ रहा है।
करोड़ों का लगाया चूना, जिम्मेदार कौन ?
नलजल योजना में किये गए घटिया कार्यों का यह पहला मामला नहीं है। यदि इस योजना में कराये गए कार्यों की जांच कराई जाए तो पूरे जिले में शायद ही कहीं ग्रामवासियों को इसका लाभ मिल पा रहा होगा। सवाल यह है कि करोड़ों-अरबो रुपए को चूना लगा दिया गया, लेकिन आखिर जिम्मेदारी किसकी तय की जाए। स्वहित साधने के चक्कर मे नियमों को भी ताक पर रख दिया गया। नियम के मुताबिक समय सीमा में कार्य पूर्ण नहीं होने पर विभाग ठेकेदार से पेनाल्टी वसूल कर सकता है, लेकिन पेनाल्टी वसूलना और मॉनिटरिंग करना तो दूर अधीकारियों और इंजीनियरों ने ठेकेदारों को खुली छूट दे दी,इसका नतीजा यह है कि कागजी घोड़े दौड़ा कर करोड़ों रुपए खर्च होना तो बता दिया, लेकिन ग्रामीणों को इसका लाभ मिल रहा है या नहीं यह देखने और इसकी सुनवाई करने वाला कोई नहीं है।
जनता से जुड़े इस सवाल पर जब पीएचई विभाग के ईई से चर्चा की गई तो उनका बेतुका जवाब यह जानने के लिए काफी है कि शायद उन्हें भी जनता की तकलीफों और समस्याओं से कोई लेना देना नहीं है। उनका कहना था कि जनता की समस्या आप वाट्स एप पर लिखकर डाल दी मैं देख लूंगा, लेकिन देखना तो दूर उन्होंने फोन तक उठाना नसीब नहीं समझा।
इनका कहना….
मेरे संज्ञान में ग्रामीणों की यह समस्या आई है। विभाग प्रमुख को समाधान कराए जाने के तत्काल निर्देश दे रहे हैं।
नरेंद्र कुमार सूर्यवंशी, कलेक्टर बैतूल
ग्रामीणों की क्या समस्या है इसे आप वाट्सएप पर लिखकर डाल दीजिए मैं देख लूंगा।
आरएन सेकवार, ईई पीएचई बैतूल