Prashasnik Kona : प्रशासनिक कोना: किस मिट्टी के बने है यह साहब, जो फटकार के बाद भी नहीं सुधरे?? क्यों गले नहीं उतर रहा एक ही थानेदार को 2 थानों प्रभार??? किस को लगाई कॉलोनाइजर ने फटकार???? विस्तार से पढ़िए हमारे चर्चित प्रशासनिक कॉलम में…..

फटकार के बाद भी नहीं सुधरे साहब
एक पावरफुल जनप्रतिनिधि की शिकायत के बावजूद लोगों के स्वास्थ्य से जुड़े अधिकारी अपनी आदत में सुधार नहीं ला रहे हैं। करीब एक पखवाड़े पहले जिले की राजनीति के सबसे पावरफुल नेता ने शिकायत के बाद इस अधिकारी को अपने आवास बुलाकर जमकर फटकारा था। शुरू में यह अधिकारी काफी मीठे और शालीनता का परिचय दे रहे थे, लेकिन जिले में एडजेस्ट होते ही वसूली का ऐसा फंडा शुरू किया कि कर्मचारी भागे-भागे फिर रहे हैं। चर्चा है कि कुछ छोटे कर्मचारियों को साहब ने सोने की अंगुठी और चेन पहनने पर न सिर्फ आपत्ति जताई, बल्कि आय का स्रोत तक पूछ डाला।
कर्मचारियों ने साहब की हरकत के बाद अंगुठियां और चेन उतारकर घर में रख दिया। इसके अलावा लेन-देने के छोटे-छोटे मामलों में भी चहेतेे कर्मचारियों पर शक कर उन्हें लुप लाइन में डाल दिया। इसके बाद भी दसों उंगली घी में डालने की आदत ने साहब को इतना लालची बना दिया कि परेशान होकर गुपचुप तरीके से साहब की शिकायत पावरफुल नेता से कर दी। इसके बाद उनकी जमकर क्लास ली तो बगले छाकने लगे। कुछ दिनों तक चुप रहने के बाद अब यह साहब फिर बड़बोलापन दिखाकर दूसरे अधिकारियों के पास डिंगे हांक से नहीं चुक रहे हैं। बताते चले कि यह अधिकारी अपने जाति विशेष के कर्मचारियों पर आंख बंदकर भरोसा करने वालों में गिने जाते हैं।
थानेदार को डबल चार्ज चर्चा में
वैसे तो पुलिस विभाग में सख्त नियम है कि दो थाने की कमान किसी को नहीं दी जा सकती है, लेकिन बैतूल इसका अछूता बन गया है। यहां एक थाना ऐसा है जिसका प्रभार पहले से ही एक जिम्मेदारी संभाल रहे अधिकरी को सौंप दिया। पुलिस मैन्यूवल में अतिरिक्त प्रभार का कोई फार्मुला नहीं है। इसके बावजूद उक्त थाना प्रभारी के लिए सिंगल आर्डर निकाला गया और जिला मुख्यालय से 35 किमी दूर एक थाने का अतिरिक्त सौंपने के आदेश जारी कर दिए। जिस थानेदार को यह जिम्मेदारी सौंपी। उनके पास जिला मुख्यालय एक विशेष जाति वर्ग की फरियाद सुनने की जिम्मेदारी है। दो थाने की जिम्मेदारी संभालने से दोनों काम अव्यवस्थित होने की चर्चा है। बताते चले कि यह वही थाना है, जहां से एक थानेदार को पहले जिला मुख्यालय के प्रमुख और कुछ दिनों बाद एक जगह सांप्रदायिक तनाव होने पर उसी थाने के थानेदार को पदस्थ किया है।
कालोनाइजर ने आरआई की लगाई क्लास
वैसे कालोनाइजर अपने काम के लिए अधिकारियों के चक्कर काटते रहते हैं, यह आम बात है, लेकिन यहां उल्टा हुआ। चर्चा है कि पिछले दिनों जिला मुख्यालय के एक आरआई की कालोनाइजर ने जमकर क्लास लगा दी। हुआ यूं की आरआई के द्वारा कालोनाइजर से जबरन के नियम बताकर वसूली के प्रयास किए जा रहे थे, लेकिन पूरे नियम पढ़कर आए कालोनाइजर ने आरआई को स्पष्ट बता दिया कि अनुज्ञा में कहां सीआर और अन्य चीजें लगती है। इसके बाद आरआई कानून चलाते हुए कलेक्टर और एसडीएम का हवाला देने लगा। इस पर कालोनाइजर ने इस पर एसडीएम से बात कर आरआई की करतूत बताई तो उनके तोते उड़ने लगे। इसके बाद कालोनाइजर ने आरआई की जमकर क्लास लेते हुए बताया कि जिसके लिए अड़ंगा अड़ा रहे हैं, उसकी अनुज्ञा मई माह में ही ले ली है। चर्चा है कि अब कालोनाइजर संगठन विधायक और कलेक्टर से मिलकर पूरी पोल खोलने के मूड मे ंहै।




