Betul News: 13 करोड़ केे गबन में जिपं की जांच पर उठ रहे बड़े सवाल
Betul News: Big questions are being raised on the investigation of Zila Parishad in the embezzlement of 13 crores

भाजपा नेता ने सवाल किया- हर जांच में महिला अधिकारी को दी जा रही जिम्मेदारी, उनके ही हाथ में सारे पावर
Betul News: बैतूल। चिचोली-भीमपुर ब्लाक में 13 करोड़ 21 लाख के गबन के मामले में जिला पंचायत द्वारा कराई गई जांच भी संदेह के दायरे में आ गई है। जांच को लेकर पहले भी सवाल उठाए जा रहे थे कि केवल आउटसोर्स कर्मचारियों और फर्मों पर एफआईआर कर ली गई, लेकिन सीईओ को बचा लिया गया। इस बात पर एक वरिष्ठ भाजपा नेता साफतौर पर बिना किसी के नाम लिए कहा कि जिला पंचायत में अपने आप में अनुभवी अधिकारी जो हर जांच टीम में रहती है, किसी को भी क्लिनचिट दे देती है। उनके इस गंभीर आरोपों की भी जांच की जाए तो वस्तुस्थिति सामने आ जाएगी। इसके लिए प्रदेश स्तर से कोई दूसरी जांच टीम से जांच के बाद कई तथ्य सामने आ सकते हैं।
चार वर्षों में चिचोली और भीमपुर जनपद पंचायत में करोड़ों रुपए का घोटाला हो गया, लेकिन अधिकारियों की जानकारी में नहीं आया, ऐसा संभव नजर नहीं आ रहा है। स्वभाविक बात है कि यहां की आंच अब अन्य जनपदों पर आना तय है। दो जनपदों में हुए 13 करोड़ के घोटाले के बाद अधिकारियों ने शेष जनपदों में भी जांच करना शुरू कर दिया है, लेकिन यह जांच भी कटघरे में आ खड़ी हुई है। दरअसल जांच के नाम पर जिस तरह लिपापोती की जा रही है, इस पर भाजपा के जनप्रतिनिधि ही संगीन आरोप लगाकर घेरने से नहीं चूक रहे हैं। यदि दो जनपदों के अलावा अन्य जगह भी स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण में घोटाले हुए है तो इसकी असलीयत सामने लाने की जवाबदारी भी कलेक्टर और जिला पंचायत सीईओ की बताई जा रही है।
पूर्व जनपद उपाध्यक्ष का गंभीर आरोप
चिचोली- भीमपुर में हुए करोड़ों के घोटाले में शाहपुर जनपद पंचायत के पूर्व उपाध्यक्ष विशाल सिंह ठाकुर ने सांझवीर की पोस्ट पर प्रतिक्रिया जाहिर करते आरोप लगाया है कि जिला पंचायत की एक अनुभवी अधिकारी हर जांच टीम में रहती है। वे जिसे चाहे उसे आरोपी बना देती है और जिसे चाहे क्लिनचिट देती है। उन्होंने सांझवीर टाईम्स को सलाह देते हुए कहा कि भीमपुर और चिचोली के सीईओ को किस आधार पर क्लिनचिट दी है? ठाकुर ने सलाह देते हुए कहा है कि उन जनप्रतिनिधियों से भी सवाल पूछा जाए जिन्होंने निर्दोष को आरोपी बनाने के लिए पत्र लिखा और पुलिस को कई बार फोन किया।
उन्होंने सवाल किया है कि यह जनप्रतिनिधि अब पूरे मामले कें चुप क्यों है? उन्होंने अपनी प्रतिक्रिया जाहिर करते लिखा है कि पूरे प्रकरण में सीईओ को क्लिनचिट क्यों दी गई? किस आधार पर वह काम कराकर बिल निकाल रहे हैं। यह भी सिविल सेवा आचरण नियम के विरूद्ध है। उन्होंने वरिष्ठ अधिकारियों की चुप्पी पर भी सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि मामले की सही जांच की जाए तो डीएससी भीमपुर, चिचोली कार्यालय या जिला कार्यालय से लगी है या फिर किसी अधिकारी के घर से निर्दोष पर कार्रवाई कर प्रशासन क्या बताना चाह रहे हैं।
डीएससी सुरक्षित रखना सीईओ का अधिकार क्षेत्र
वरिष्ठ भाजपा नेता ठाकुर का मानना है कि नियम के अनुसार डिजीटल सिग्नेचर सर्टिफिकेट(डीएससी) सुरक्षित रखना हर जनपद सीईओ का अधिकार है। यदि यह चोरी हो जाए तो जिम्मेदारी किसकी? सीईओ यदि कहे कि यह चोरी हो गए तो यह कौन मानेगा, क्योंकि हर भुगतान के बाद स्वच्छ भारत मिशन में सीईओ के पास ही मैसेज आते हैं। नियम के अनुसार पोर्टल पर अपने नंबर अपडेट क्यों नहीं किए? वरिष्ठ भाजपा नेता और पूर्व जनपद उपाध्यक्ष के इस तथ्य के बाद 13 करोड़ के घोटाले में नया पेंच सामने आ गया है। अब तक जनपद पंचायत सीईओ तर्क दे रहे थे कि उनके डिजीटल सिग्नेचर चोरी होने से यह घोटाला हुआ, लेकिन इस नियम की बात करें तो सवाल खड़े होना लाजमी है। इस संबंध में जिला पंचायत सीईओ अक्षत जैन को उनके मोबाइल पर पक्ष जानने के लिए दोपहर 3.01 बजे दो बार काल किया, लेकिन उन्होंने अपना मोबाइल 9706675545 रिसीव नहीं किया।