Betul Ki Khabar: अंतराष्ट्रीय महिला दिवस पर विशेष: जिन्होंने विपरीत परिस्थितियों में भी पूरे परिवार का भविष्य संवारा

Betul Ki Khabar: Those who shaped the future of the entire family even in adverse circumstances

अंतराष्ट्रीय महिला दिवस पर विशेष: संघर्ष की मिसाल बनी बैतूल की शिक्षिका सुभद्रा मिश्रा

Betul Ki Khabar: बैतूल। उत्तर प्रदेश के बांदा में जन्मी सुभद्रा मिश्रा का जीवन संघर्ष और आत्मनिर्भरता की मिसाल है। 1963 में बैतूल निवासी कैलाश प्रसाद मिश्रा से उनका विवाह हुआ। शादी के दस साल बाद ही उनके पति अस्वस्थ रहने लगे और घर में आर्थिक संकट गहराने लगा। इस कठिन समय में उन्होंने स्वेटर बुनाई की मशीन खरीदी और बैतूल में इस मशीन से स्वेटर बनाने वाली पहली महिला बनीं। यह उनकी मेहनत का ही नतीजा था कि घर की गाड़ी फिर से चल पड़ी।

इसके बावजूद मुश्किलें यहीं खत्म नहीं हुईं। वर्ष 1979 में जब उनकी बड़ी बेटी अनीता शर्मा सातवीं और छोटी बेटी डॉक्टर अनामिका मिश्रा पांचवीं कक्षा में थी, तभी उनके पति का स्वर्गवास हो गया। पति के जाने के बाद अकेले रह गईं सुभद्रा मिश्रा के पास कोई बड़ी डिग्री नहीं थी, क्योंकि मायके में उन्होंने सिर्फ पांचवीं कक्षा तक पढ़ाई की थी। परंतु उन्होंने हार नहीं मानी और अपनी पढ़ाई फिर से शुरू की। वर्ष 1983 में उन्होंने शासकीय इंदिरा कन्या प्राथमिक शाला में शिक्षिका के रूप में नौकरी शुरू की और अपनी दोनों बेटियों को पढ़ा-लिखाकर योग्य बनाया। उनकी बड़ी बेटी अनीता शर्मा का विवाह 1989 में ग्वालियर में हुआ, लेकिन शादी के पांच साल बाद ही उनके दामाद का भी निधन हो गया। ऐसे में सुभद्रा मिश्रा ने एक बार फिर अपने कंधों पर बड़ी जिम्मेदारी उठा ली। अब न केवल अपनी बेटी बल्कि अपने नाती-नातिन का भी भविष्य संवारने का दायित्व उनके सिर पर था।

नानी ने निभाया पिता का दायित्व

उनकी नातिन नेहा शर्मा, जो पूर्व में जेएच कॉलेज छात्रसंघ अध्यक्ष रह चुकी हैं, कहती हैं कि पिता का पूरा दायित्व उनकी नानी ने निभाया। नेहा बताया कि मुझे और भाई को उन्हें उच्च शिक्षा दिलवाई और हर कदम पर उनका संबल बनीं। उनकी छोटी बेटी डॉक्टर अनामिका मिश्रा वर्तमान में उमरिया जिले में संकुल प्राचार्य के पद पर कार्यरत हैं। नेहा बताती है कि नानी के संघर्ष के कारण ही पूरा परिवार एकजुट होकर सफलता की कहानी गढ़ रहा है। उनके योगदान को हम पूरा परिवार कभी नहीं भूला सकते।

शिक्षिका के साथ समाजसेवा का भी उठाया बीड़ा

शिक्षिका होने के साथ सुभद्रा मिश्रा समाजसेवा में भी सक्रिय रहीं। उन्होंने कई असहाय लोगों की मदद की और आज भी जरूरतमंदों के लिए हरसंभव प्रयास करती हैं। बैतूल में शिक्षिका रहते हुए उन्होंने सैकड़ों को शिक्षित किया, जो आज विभिन्न उच्च पदों पर कार्यरत हैं। सुभद्रा मिश्रा का जीवन सिर्फ एक शिक्षिका की कहानी नहीं, बल्कि संघर्ष, आत्मनिर्भरता और परिवार के लिए अडिग संकल्प की प्रेरणा है। महिला दिवस पर उनकी यह कहानी हर उस महिला को प्रेरित करेगी, जो मुश्किलों से लड़कर आगे बढ़ने का हौसला रखती है।

Ankit Suryawanshi

मैं www.snewstimes.com का एडिटर हूं। मैं 2021 से लगातार ऑनलाइन न्यूज पोर्टल पर काम कर रहा हूं। मुझे कई बड़ी वेबसाइट पर कंटेंट लिखकर गूगल पर रैंक कराए हैं। मैने 2021 में सबसे पहले khabarwani.com, फिर betulupdate.com, sanjhveer.com, taptidarshan.com, betulvarta.com, yatharthyoddha.com पर काम करने का अनुभव प्राप्त हैं।इसके अलावा मैं 2012 से पत्रकारिता/मीडिया से जुड़ा हुआ हूं। प्रदेश टुडे के बाद लोकमत समाचार में लगभग 6 साल सेवाएं दीं। इसके साथ ही बैतूल जिले के खबरवानी, प्रादेशिक जनमत के लिए काम किया।

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