Betul News: बैतूल में अपराध बढ़े, लेकिन स्टाफ आज भी उतना ही

Betul News: Crime increased in Betul, but staff still same

1201 के विरूद्ध 835 अधिकारी-कर्मचारी संभाल रहे कानूनी व्यवस्था, महिला स्टाफ की भी कमी

Betul News: बैतूल। आदिवासी बाहुल्य बैतूल जिले में अपराधों का ग्राफ भले ही घटते-बढ़ते रहता है, लेकिन आज भी उतने ही स्टाफ से काम चलाना पड़ रहा है, जितना मौजूद है। पुलिस द्वारा उपलब्ध एक आंकड़ों पर नजर दौड़ाए तो जिले में 1201 अधिकारी-कर्मचारियों की जरूरत है। इसके विपरित 835 अधिकारी-कर्मचारी तैनात है। यानी 350 से अधिक पुलिस बल की कमी कही न कही अपराध नियंत्रण में बाधा बन रही है। टीआई स्तर और महिला उपनिरीक्षक स्तर के अधिकारियों की भी कमी होने से जैसे-तैसे काम चल रहा है। स्टाफ कमी का मुद्दा पिछले दिनों प्रभारी मंत्री की समीक्षा बैठक में सामने आने के बाद एसपी ने उन्हें जानकारी उपलब्ध कराकर बल स्वीकृत करवाने का आग्रह भी किया है।

जिले में अपराधिक घटनाओं में वृद्धि हो रही है। हालांकि यह घटनाएं पारिवारिक विवाद, लेन-देन से अधिक जुड़ी है, लेकिन अपराध बढ़ने पर पुलिस की किरकिरी होना स्वाभाविक है। इसका दूसरा पहलू यह है कि जिले में पर्याप्त पुलिस बल न होने के कारण अपराध नियंत्रण में कई तरह की कठिनाइयां सामने आ रही है। देखने में आया है कि हत्या और गंभीर मामलों में पुलिस स्टाफ को लगाए तो थाने की व्यवस्था चौपट हो जाती है। ऐसे में पूरा ठीकरा विभाग पर ही फूटता है, लेकिन वास्तविकता पर कोई नजर नहीं दौड़ा रहा है। हकीकत यह है कि अपराधिक घटनाएं बढ़ने पर अधिकारियों को जवाब देना पड़ता है, लेकिन अधिकांश मामले पारिवारिक विवाद, लेनदेन और विवाद से जुड़े रहते हैं। इसी वजह इन पर नियंत्रण कर पाना पुलिस के वश में भी नहीं है।

जिले में 835 का बल मौजूद

पिछले कई वर्षों से जिले में अधिकारियों और कर्मचारियों का टोटा बना हुआ है। इतना जरूर है कि जिले से पुलिस विभाग में जब भी तबादले होते हैं, उतनी ही संख्या में दूसरे जिले से अधिकारी-कर्मचारी यहां पर नहीं भेजे जा रहे हैं। यही वजह है कि पुलिस बल की लगातार कमी होने के कारण व्यवस्थाएं लगातार चौपट हो जा रही है। वर्तमान में 1201 स्वीकृत बल की अपेक्षा 835 ही कर्मचारी उपलब्ध है। इसी बल से जिले के 16 थाने और चौकियों के अलावा पुलिस सहायता केंद्रों की जरूरतें पूरी की जा रही है। सबसे बड़ी समस्या महिला उपनिरीक्षकों की कमी से हो रही है। चूंकि महिला अपराधों में हर थाने में महिला सेल बना हुआ है, लेकिन महिला उपनिरीक्षकों की कमी के कारण महिला अपराधों के निराकरणों में इसी वजह विलंब हो रहा है। एक अनुमान के मुताबिक जिले में अभी केवल 9 महिला उपनिरीक्षक मौजूद है। यह स्टाफ वर्तमान में ऊंट के मुंह में जीरा साबित हो रहा है।

विशेष मौकों पर बाहर से बुलाना पड़ रहा पुलिस

यह भी बड़ी विडंबना है कि जिले में पर्याप्त पुलिस बल न होने के कारण विशेष मौकों पर दूसरे जिले से पुलिस बल की डिमांड करना मजबूरी बन गया है। दरअसल दशहरा, चल समारोह समेत अन्य त्यौहारों पर संवेदनशील क्षेत्रों में पुलिस बल तैनात करना पड़ता है। ऐसे में हर बार बल की डिमांड कर दूसरे जिले से बल बुलाना पड़ता है। किसी वीआईपी के आगमन पर तो हालत यह रहती है कि जिले के आसपास के चार-पांच जिलों के अलावा पुलिस मुख्यालय से भी बल आता है। यही वजह है कि दूसरे जिलों में वीआईपीआई ड्यूटी में जिले से काफी कम मात्रा में बल भेजना पड़ता है। यह स्थिति पिछले कई वर्षों से चली आ रही है। पिछले दिनों प्रभारी मंत्री की मौजूदगी में भी एसपी ने पुलिस बल की कमी का मामला उनके संज्ञान में लाया है।

इनका कहना…

पुलिस बल की कमी का मामला पीएचक्यू से ही हल होता है। प्रभारी मंत्री होने के नाते हमने पिछले दिनों यह मामला प्रभारी मंत्री के संज्ञान मेें लाकर निराकरण का आग्रह जरूर किया है।

निश्चल एन झारिया, एसपी बैतूल

Ankit Suryawanshi

मैं www.snewstimes.com का एडिटर हूं। मैं 2021 से लगातार ऑनलाइन न्यूज पोर्टल पर काम कर रहा हूं। मुझे कई बड़ी वेबसाइट पर कंटेंट लिखकर गूगल पर रैंक कराए हैं। मैने 2021 में सबसे पहले khabarwani.com, फिर betulupdate.com, sanjhveer.com, taptidarshan.com, betulvarta.com, yatharthyoddha.com पर काम करने का अनुभव प्राप्त हैं।इसके अलावा मैं 2012 से पत्रकारिता/मीडिया से जुड़ा हुआ हूं। प्रदेश टुडे के बाद लोकमत समाचार में लगभग 6 साल सेवाएं दीं। इसके साथ ही बैतूल जिले के खबरवानी, प्रादेशिक जनमत के लिए काम किया।

Related Articles

Back to top button