Betul Samachar: अंतिम समय में जिला अध्यक्ष के लिए बदले नियम ने बबला की राह रोकी

Betul Samachar: Rules changed for the District President at the last moment blocked the path of Babla.

चार वर्ष का कार्यकाल सबसे बड़ी बाधा, इसलिए सुधाकर का नाम अचानक आगे बढ़ा

Betul Samachar: बैतूल। प्रदेश में भाजपा जिला अध्यक्ष की घोषणा पार्टी संगठन ने 5 जनवरी तक करने का ऐलान भले ही कर दिया हो, लेकिन हकीकत यह है कि बड़ी खींचतान के बाद हाईकमान सूची जारी करने में परहेज कर रहा है। खबर है कि जिन जिला अध्यक्षों के लिए अधिक पेंच आ रहा है, इन्हें होल्ड कर दिया जाएगा।

इन नामों में बैतूल जिला अध्यक्ष का भी नाम शामिल बताया जा रहा है। हालांकि अब तक टॉप पर चल रहे वर्तमान जिला अध्यक्ष बबला शुक्ला शनिवार रात से पार्टी हाईकमान द्वारा बदले कुछ नियम के कारण पीछे हो गए हैं।

खबर है कि हाईकमान ने चार वर्ष का कार्यकाल पूरा करने वालों का नाम पैनल से बाहर करने का निर्णय लिया है। यदि ऐसा होता है तो पार्टी को बबला का उत्तराधिकारी चुनना मजबूरी है। ऐसे में पिछड़ा वर्ग और गायत्री परिवार से जुड़े सुधाकर पवार का नाम तेजी से आगे बढ़ गया है, उनके नाम पर सहमति बनने की चर्चा है।

भाजपा से जुड़े सूत्र बताते हैं कि जिला अध्यक्ष के लिए पूर्व में हुई रायशुमारी में आदित्य बबला शुक्ला का नाम पहले पायदान पर था। हालांकि भाजपा की गाइड लाइन के अनुसार पैनल में भोपाल तक पांच नाम भेजे जाने थे। जिनमें बबला के अलावा जिला पंचायत उपाध्यक्ष हंसराज धुर्वे, नप के पूर्व अध्यक्ष सुधाकर पवार, भाजयुमो की पूर्व अध्यक्ष रश्मि साहू और मधु पाटनकर का नाम पैनल में गया था। सूत्र बताते हैं कि भाजपा में राजधानी भोपाल में तीन दिन पहले हुई रायशुमारी में नई दिल्ली तक वर्तमान जिला अध्यक्ष बबला के अलावा सुधाकर पवार और हंसराज धुर्वे का नाम गया है। इन तीन नाम के पैनल में से किसी एक को अध्यक्ष चुना जाना है।

बबला के नाम पर इसलिए संशय

भाजपा से जुड़े सूत्र बताते हैं कि रायशुमारी में सामान्य वर्ग से आदित्य बबला शुक्ला का नाम सबसे आगे था। उनका जिला अध्यक्ष चुना जाना भी लगभग तय माना जा रहा है, लेकिन पार्टी हाईकमान ने चार वर्ष का कार्यकाल पूरा करने वाले जिला अध्यक्ष को दूसरी बार मौका न देने की रणनीति बनाई है।

इसी के चलते बबला के नाम पर संशय बरकरार है। वैसे जिले के सांसद और पांचों विधायकों सहित मंडल अध्यक्षों ने बबला के नाम पर सहमति जताई थी, लेकिन भाजपा की गाइडलाइन का नियम सामने आने के बाद रविवार को उनकी दावेदारी थोड़ी कमजोर हो गई है।

पिछड़ा वर्ग से सुधाकर का नाम अचानक आया

भाजपा के एक सूत्र ने बताया कि सामान्य वर्ग से बबला का नाम लगभग तय होने के बाद हाईकमान विकल्प के तौर पर दूसरा नाम यदि मांगता है तो पिछड़ा वर्ग का प्रतिनिधित्व करने वाले और अधिवक्ता के साथ नप बैतूल बाजार की अध्यक्षी संभालने वाले सुधाकर पवार का नाम अचानक सामने आया है। उनकी छवि निर्विवाद होने और जिले के जनप्रतिनिधियों के साथ अच्छा तालमेल होने का फायदा उनको मिलने के आसार है।

इसी की वजह जिला अध्यक्ष के अन्य दावेदार रश्मि साहू, मधु पाटनकर और हंसराज धुर्वे का नाम रविवार को एक दम चला गया। यदि पार्टी पिछड़ा वर्ग का प्रतिनिधित्व करने वाले सुधाकर पवार पर भरोसा जताए तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी।

आदिवासी वर्ग से इसलिए नाम हटा पीछे

भाजपा हाईकमान ने चार वर्ष के कार्यकाल वाले जिला अध्यक्षों को दोबारा मौका नहीं देने का निर्णय लिया है। इसके अलावा आदिवासी बाहुल्य जिले में गैर आदिवासी को जिला अध्यक्ष बनाने का क्राइट एरिया भी तय किया है। यही वजह है कि आदिवासी समाज से जिला पंचायत उपाध्यक्ष हंसराज धुर्वेे का नाम तेजी से आगे बढ़ने के बाद अब काफी पीछे चला गया है।

हालांकि कुंबी समाज से मधु पाटनकर का नाम जरूर आगे बढ़ा, लेकिन अनुभव और गायत्री परिवार से जुड़े रहने के अलावा सत्ता-संगठन से बेहतर तालमेल के साथ कम उम्र के सुधाकर पवार का नाम आगे बढ़ गया है।

Ankit Suryawanshi

मैं www.snewstimes.com का एडिटर हूं। मैं 2021 से लगातार ऑनलाइन न्यूज पोर्टल पर काम कर रहा हूं। मुझे कई बड़ी वेबसाइट पर कंटेंट लिखकर गूगल पर रैंक कराए हैं। मैने 2021 में सबसे पहले khabarwani.com, फिर betulupdate.com, sanjhveer.com, taptidarshan.com, betulvarta.com, yatharthyoddha.com पर काम करने का अनुभव प्राप्त हैं।इसके अलावा मैं 2012 से पत्रकारिता/मीडिया से जुड़ा हुआ हूं। प्रदेश टुडे के बाद लोकमत समाचार में लगभग 6 साल सेवाएं दीं। इसके साथ ही बैतूल जिले के खबरवानी, प्रादेशिक जनमत के लिए काम किया।

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