Betul News: अस्पताल में कर्मचारियों की पहले से कमी, मशीनें बुलाने पर जोर

Betul News: There is already shortage of staff in the hospital, emphasis on calling machines

समझ से परे सीएमएचओ और अधीनस्थों का नई मशीनों के लिए प्रस्ताव भेजना

Betul News: बैतूल। बैतूल में पदस्थ सीएमएचओ अपनी मनमर्जी के मालिक होते जा रहे हैं। उन्हें इस बात की पहले से ही जानकारी है कि जिला अस्पताल में डॉक्टरों और कर्मचारियों की पहले से ही कमी है और जिन मशीनों को जिला अस्पताल में लगाने की तैयारी की जा रही है, इसका प्रस्ताव पहले ही भेजा जा चुका है। इसके बावजूद नए प्रस्ताव भेजकर मशीनें बुलवाएं जाने को लेकर विवादों में घिर गए है। जिला अस्पताल में जब तक डॉक्टर और कर्मचारियों की व्यवस्था नहीं होती, तब तक मशीनें केवल शोपीस ही बनी रहेगी। इसकी बानगी कई माह पहले आई टीएमटी मशीन के धूल खाने के बाद सहज अंदाजा लगाया जा सकता है।

लोगों के स्वास्थ्य से सीधे जुड़े सीएमएचओ कार्यालय में ऐसे जनहित के प्रस्तावों को दरकिनार किया जा रहा है, जो सीधे मरीजों को फायदा पहुंचाएं। दूसरी तरफ पिछले कुछ वर्षों से राज्य शासन को गुमराह करने वाले प्रस्ताव भेजकर खुद ही विवादों में घिरते जा रहे हैं। ताजा मामला जिला अस्पताल के लिए इको और एन्डो मशीनें लगाने को लेकर सामने आया है। यहां पहले ही बताया जा चुका है कि शासन से इन मशीनों के लिए प्रस्ताव भेजे जा चुके हैं और किसी भी समय इन्हें भोपाल से भेजा जा सकता है। इसके बावजूद नया प्रस्ताव बनाकर यह दोनों मशीनें बुलाना किसी के गले नहीं उतर रहा है।

न डॉक्टर न कर्मचारी, कैसे चलेगी मशीन

जानकार सूत्रों ने बताया कि जिला अस्पताल में पहले से ही डॉक्टरों और कर्मचारियों की बेहद कमी है। जैसे-तैसे व्यवस्थाएं चलाई जा रही है। यह बात खुद सिविल सर्जन भी कह चुके हैं। उन्होंने बताया कि टीएमटी मशीन तो महीनों से यहां पर रखी है, इसके लिए पहले पावर ग्रिड कार्पोरेशन से प्रस्ताव मिला था, तब टीएमटी की मशीन मिली थी। इसके बाद राज्य शासन को भी यह प्रस्ताव भेजा था, तब तक यह मशीनें आ चुकी थी। उन्होंने बताया कि अस्पताल में डॉक्टरों की कमी से जैसे-तैसे व्यवस्थाएं चला रहे हैं, लेकिन कर्मचारियों की कमी के कारण मशीन आपरेट नहीं हो पा रही है। टीएमटी मशीन को आपरेट करने के लिए कम से कम पांच कर्मचारियों की जरूरत है, जब तक यह कमी पूरी नहीं होती है, तब तक मशीन को शुरू करना संभव नहीं है। अब सवाल यह उठता है कि सिविल सर्जन कर्मचारियों की कमी बता रहे हैं और उधर सीएमएचओ नई मशीनों के लिए प्रस्ताव भेज रहे हैं। ऐसे में यदि मशीनें आ भी गई तो इसका उपयोग क्या होगा। इसका अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है। जिस तरह टीएमटी मशीनें यहां धूल खा रही है। इसी तरह इको और एन्डो मशीन का क्या उपयोग होगा, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है।

टीएमटी मशीन कमरे से बाहर नहीं आई

इधर सूत्रों ने बताया कि जिला अस्पताल को टीएमटी मशीनें मिले हुए कई माह का समय बीत गया है, लेकिन आज भी इको की जरूरत पड़ने पर निजी अस्पतालों का सहारा लिया जा रहा है। इसके लिए मरीजों को अपनी जेब से पैसे चुकाने पड़ रहे हैं। दरअसल जिला अस्पताल में महीनों से आई मशीनें कमरे में रखे धूल खा रही है। प्रबंधन के सामने समस्या यह है कि इसे आपरेट करने के लिए कोई डॉक्टर नहीं है, जबकि टीएमटी मशीन शुरू हुई तो इसके लिए कम से कम पांच कर्मचारियों की जरूरत पड़ेगी। कर्मचारी भी राज्य शासन द्वारा नियुक्त किए जाएंगे। ऐसे में टीएमटी मशीन का जो हर्ष हो रहा है, यह आदिवासी जिले के मरीजों के लिए चिंता का विषय हो सकता है।

इनका कहना….

मुझे आपके माध्यम से कल जानकारी मिली थी। व्यवस्तता के कारण इसे कल नहीं देख पाया। मामले की जानकारी लेकर संबंधितों से पूछताछ की जाएगी।

नरेंद्र कुमार सूर्यवंशी, कलेक्टर बैतूल।

इको मशीन कई माह से जिला अस्पताल के एक कमरे में रखी है। इसे चलाने के लिए डॉक्टर और पांच कर्मचारी की जरूरत है। स्टाफ की कमी के कारण इसे शुरू नहीं किया जा सका है।

डॉ अशोक बारंगा, सिविल सर्जन, जिला अस्पताल बैतूल

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Ankit Suryawanshi

मैं www.snewstimes.com का एडिटर हूं। मैं 2021 से लगातार ऑनलाइन न्यूज पोर्टल पर काम कर रहा हूं। मुझे कई बड़ी वेबसाइट पर कंटेंट लिखकर गूगल पर रैंक कराए हैं। मैने 2021 में सबसे पहले khabarwani.com, फिर betulupdate.com, sanjhveer.com, taptidarshan.com, betulvarta.com, yatharthyoddha.com पर काम करने का अनुभव प्राप्त हैं।इसके अलावा मैं 2012 से पत्रकारिता/मीडिया से जुड़ा हुआ हूं। प्रदेश टुडे के बाद लोकमत समाचार में लगभग 6 साल सेवाएं दीं। इसके साथ ही बैतूल जिले के खबरवानी, प्रादेशिक जनमत के लिए काम किया।

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