इलेक्ट्रोहोम्यो के इलाज से मासूम की मौत
राजनीति की भेंट चढ़ा मामला, कोठीबाजार में डॉक्टर वर्षों से कर रहा था इलाज

बैतूल। स्वास्थ्य विभाग शहर में चलने वाली अवैध डिस्पेंसरी सहित पैथालाजी लैब पर शिकंजा नहीं कस रहा है। आए दिनों तथाकथित फर्जी डॉक्टरों और पैथालाजी की लापरवाही सामने आ रही है। कुछ दिनों पहले कोठीबाजार क्षेत्र में कुछ दिनों पहले चिचोली के एक मासूम को तथाकथित इलेक्ट्रोहोम्यो के इंजेक्शन लगाने से मौत के मुंह में समा जाना पड़ा। डॉक्टर ने अपने राजनीति का रसूख का उपयोग कर मृत बच्चे के परिजन को शिकायत नहीं करने दी। इसी वजह यह मामला पूरी तरह दबकर रह गया, लेकिन भविष्य में कोठीबाजार का यह डाक्टर अन्य बच्चों की जान न ले, इसलिए सांझवीर इस खबर को अपने पाठकों के लिए सामने रख रहा है।
जानकार सूत्रों ने बताया कि करीब एक सप्ताह पहले कोठीबाजार में चिचोली के 12 वर्षीय मासूम को परिजन एक इलेक्ट्रोहोम्योपैथिक की क्लिनिक पर इलाज कराने लेकर आए थे। बताया जाता है कि उस समय बच्चे की स्थिति ठीक थी, लेकिन उसे बुखार आ रहा था। तथाकथित डॉक्टर नरेश ने इलेक्ट्रोहोम्यो की डिग्री के बावजूद मासूम को कोई एंटीबायोटिक इंजेक्शन के साथ बोतल लगा दी।
बोतल लगाने के करीब पंद्रह मिनट बाद मासूम की हालत बिगड़ने लगी तो डॉक्टर के भी हाथ-पैर फूल गए। सूत्रों के अनुसार उसने परिजनों को दूसरे अस्पताल ले जाने की समझाइश दी, लेकिन मासूम की हालत बेहद बिगड़ गई तो परिजनों ने जमकर हंगामा मचा दिया। बताया जाता है कि यहां बच्चे की कुछ देर बाद यही मौत भी हो गई। इससे परिजन और बिफर गए। इसके बाद डॉक्टर के क्लिनिक छोड़कर भागने की खबर है।
मामला बिगड़ते देख राजनीति आई सामने
इधर गांव का रहने वाला यह डॉक्टर पहले गंज के एक बड़े अस्पताल संचालक के यहां पर प्रैक्टिस करता था। इसके बाद उसने कोठीबाजार में इलेक्ट्रोहोम्योपैथिक डिग्री होने के बावजूद एलोपैथिक इलाज शुरू किया। सूत्र बताते हैं कि रोजाना यह फर्जी डॉक्टर 50 से अधिक मरीजों का एलोपैथिक पद्धति से इलाज करते आ रहा है।
चिचोली के एक सोनी परिवार के 12 वर्षीय मासूम की मौत के बाद कार्रवाई न होने से तथाकथित फर्जी डॉक्टर नरेश ने अपने राजनीति रसूख का उपयोग करते हुए चिचोली के ही एक सत्तारूढ़ पार्टी के पार्षद और रसूखदार नेता के माध्यम से मामला रफादफा करवा दिया। जिस बच्चे की मौत हुई उसके परिजन भी चिचोली मेें रहते थे, इसलिए वे भी रसूख के आगे अपने घर का चिराग खोने के बाद भी चुप रहना उचित समझा। यही वजह है कि मामला शिकायत तक नहीं पहुंचा और फर्जी डॉक्टर पर कोई कार्रवाई नहीं हो सकी।
डॉक्टरों ने भी मामले पर जताया खेद
सूत्र बताते हैं कि बैतूल डॉक्टरों के ऐसे ग्रुप पर भी इस मामले में जमकर प्रतिक्रिया देखी गई। डॉक्टरों ने फर्जी डॉक्टर नरेश के इलाज से मासूम की मौत पर लिखा है कि हम सभी के लिए अलर्ट होना चाहिए कि एक निश्चित दायरे में ही अपना काम करें, ताकि हमें और पूरे डाक्टर जगत को अपमानित न होना पड़े। डाक्टरों ने ग्रुप में ही लिखा है कि ऐसे मामलों में करता कोई एक और भुगतना सभी को पड़ता है, इसलिए सभी से निवेदन है कि दायरे में रहकर अपना काम करें और अधिकतौर पर गोली-दवाई से ही काम चलाए। बोतल और इंजेक्शन की जरूरत आखरी वक्त में ही ठीक है, वरना जो हुआ ठीक नहीं हुआ।
इनका कहना….
मुझे इस बारे में चर्चाओं पर जानकारी मिली थी, लेकिन न तो मृत बच्चे के परिजनों और न किसी ने लिखित शिकायत की। यदि शिकायत आती तो सौ प्रतिशत कार्रवाई करते। इलेक्ट्रोहोम्योपैथिक डिग्री में एलोपैथिक दवाइयां लिखने और इंजेक्शन लगाने का नियम नहीं है। जरूरत पड़ने पर हम संबंधित डाक्टर के क्लिनिक का निरीक्षण भी करवाएंगे।
डॉ. रविकांत उइके, सीएमएचओ बैतूल।