Betul News : शराब ठेके के आदेश में देरी, शासन को लगा लाखों का फटका
Betul News: Delay in ordering liquor contracts, government fined lakhs

14 दिनों में 65 लाख 78 हजार 684 रुपए का नुकसान
Betul News : (बैतूल)। गंज समूह की तीन एकीकृत दुकानों की नीलामी देर सवेर कर दी गयी। रुद्रदेव सुरा एंड कम्पनी को अगले तीन माह की अवधि के लिए इन तीन दुकानों का ठेका 5 करोड़ 11 लाख 11 हजार 316 रुपए में दे दिया गया, लेकिन यदि इसी ठेके की अनुमति ठेका स्वीकृत होने के तत्काल बाद दे दी जाती तो ना ही ठेकेदार को नुकसान उठाना पड़ता और ना ही शासन को लाखों रुपए का नुकसान होता। खैर जो भी है, लेकिन राजस्व के लिए पाई-पाई का जुगाड़ कर रही नई नवेली सरकार के लिए यह यह विलंब बड़ा नुकसान साबित हुआ है।
- Also Read : Betul News : धर्मांतरण पर धरा रह गया लालच का खेल
14 दिन में 65 लाख का नुकसान
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार गंज समूह की तीन एकीकृत शराब दुकानों की नीलामी प्रक्रिया 8 दिसम्बर को आयोजित की थी। इस नीलामी में करीब 7 ठेकेदारों ने ओन लाइन टेंडर डाले थे। बिड ओपन होने के बाद इन सभी ठेकेदारों में से सबसे अधिक बोली रुद्रदेव सुरा एंड कम्पनी की 5 करोड़ 76 लाख 90 हजार की बोली ओपन हुई थी। इसके बाद यह मान लिया गया था कि गंज समूह की दुकान यही ग्रुप संचालित करेगा, लेकिन ऐन वक्त पर ना जाने ऐसा क्या हुआ कि ठेके के पत्रक अनुमति के लिए आबकारी आयुक्त ग्वालियर को भेज दिए गए थे।
इस अनुमति के आने में ही करीब 14 दिन लग गए। इस बीच ठेकेदार को भी समूह हैंडओवर नहीं हो सका। बाद में यह अनुमति 22 दिसम्बर को जारी की गई। इसका नतीजा सामने आया कि शासन को ठेके की राशि घटानी पड़ी और जो ठेका 5 करोड़ 76 लाख 90 हजार में दिया जाना था। अनुमति में विलंब के चलते ठेका शासन को 5 करोड़ 11 लाख 11 हजार 316 रुपए में देना पड़ा। इस तरह से मात्र 14 दिनों में शासन को लगभग 65 लाख 78 हजार 684 रुपए की नुकसानी झेलनी पड़ी । यदि यही अनुमति तत्काल प्रदान कर दी जाती तो ना ही ठेकेदार नुकसान में रहता बल्कि शासन को भी नियम के मुताबिक बराबर का राजस्व मिल सकता था।
14 दिन की ड्यूटी से भी धोना पड़ा हाथ
आबकारी के नियम के मुताबिक शराब दुकानदारों से राजस्व की वसूली के लिए प्रतिदिन बिक्री के हिसाब से ड्यूटी की वसूली की जाती है। बताया जा रहा है कि गंज समूह की तीन दुकानों के लिए शासन स्तर पर 5 लाख 83 हजार 225 रुपए प्रतिदिन की ड्यूटी तय की गई है। इतनी ड्यूटी दुकानदार को शासन के खाते में जमा करनी ही है। अब 8 दिसंबर के बाद से यह ठेका अनुमति के अभाव में पूरे 14 दिन लटका रहा।
इस अवधि में भी शासन को प्रतिदिन के हिसाब से करीब 5 लाख 83 हजार 225 रुपए की हानि प्रति दिन उठानी पड़ी है। इस तरह से पूरे 14 दिनों में शासन को प्रति दिन मिलने वाली ड्यूटी में भी कुल 81 लाख 65 हजार 150 रुपए का नुकसान हुआ है। जरा सी लेटलतीफी का नतीजा यह सामने आया कि शासन को इन दुकानों के जरिए जहां पूरे 6 करोड़ 41 लाख 54 हजार 859 रुपये मिलने थे अब वहीं शासन को मात्र 5 करोड़ 11 लाख 11 हजार से ही संतोष करना पड़ेगा।